संस्कृति (Culture)
MacIver and Page के अनुसार "हमारे रहने तथा सोचने के तरीकों में, रोज की अन्तः क्रियाओं में, कला में, मनोरंजन तथा आमोद प्रमोद में संस्कृति हमारी प्रकृति की अभिव्यक्ति ही है।"संस्कृति की विशेषताएं (characteristics of culture)
- संस्कृति सीखी जाती है।
- संस्कृति मानव आवश्यकताओं की पूर्ति करती है।
- प्रत्येक समाज की अपनी एक विशिष्ट संस्कृति होती है।
- संस्कृति, समूह के लिए आदर्श होता है।
- संस्कृति में अनुकूलन का गुण होता है अर्थात संस्कृति में समयानुसार परिवर्तन होते रहते हैं।
संस्कृति के प्रकार (Types of culture)
Ogburn ने संस्कृति को दो भागों में विभाजित किया है -1. भौतिक संस्कृति (Material culture)
भौतिक संस्कृति के अन्तर्गत वे सभी चीजें आ जाती है जो कि मूर्त होती है। अर्थात् जिन्हें हम प्रत्यक्ष रूप से देख या छू सकते हैं। मकान, कपड़ा, फर्नीचर, रेडियो, साइकिल, बर्तन, मूर्तियां, पुस्तकें आदि भौतिक संस्कृति के उदाहरण हैं।2. अभौतिक संस्कृति (non material culture)
संस्कृति का वह भाग जो कि अमूर्त है अर्थात् जिन्हें देखा या छुआ नहीं जा सकता है, अभौतिक संस्कृति कहलाता है। धर्म, प्रथा, परम्परा, आदर्श, भाषा, जनरीतियां, साहित्य, विज्ञान आदि अभौतिक संस्कृति के उदाहरण हैं।भौतिक तथा अभौतिक संस्कृति में अन्तर (difference between material & non material culture)
- भौतिक संस्कृति मूर्त होती है इसके विपरित अभौतिक संस्कृति अमूर्त होती है।
- भौतिक संस्कृति में परिवर्तन तेजी से होता है जबकि अभौतिक संस्कृति में परिवर्तन धीमी गति से होता है।
- भौतिक संस्कृति को नापा जा सकता है परन्तु अभौतिक संस्कृति को नाप तौल नहीं सकते हैं।
- भौतिक संस्कृति प्रत्यक्ष रूप से मानव निर्मित होती है जबकि अभौतिक संस्कृति सामाजिक अन्तः क्रियाओं के दौरान स्वतः विकसित होता है।
संस्कृति के घटक (Components of culture)
1. सांस्कृतिक तत्व (cultural trait)
अनेक छोटी छोटी इकाइयों से मिलकर सम्पूर्ण संस्कृति का निर्माण होता है संस्कृति की इन इकाइयों या तत्वों को ही सांस्कृतिक तत्व कहते हैं। सांस्कृतिक तत्व भौतिक और अभौतिक दोनों ही प्रकार के हो सकते हैं।सांस्कृतिक तत्व सम्पूर्ण सांस्कृतिक व्यवस्था की सबसे छोटी वह इकाई है जिसका की मानव जीवन में काम आने की दृष्टि से और विभाजन नहीं हो सकता। कुछ उदाहरणों द्वारा सांस्कृतिक तत्व की प्रकृति को स्पष्ट रूप से समझा जा सकता है। घड़ी, पलंग, मेज, एक विश्वास, एक आदर्श, एक शब्द ये सभी सांस्कृतिक तत्व के उदाहरण हैं। एक घड़ी के दो टुकड़े कर दीजिए तो फिर वह किसी काम का नहीं रह जायेगी। इसलिए घड़ी के दो टुकड़ों को नहीं, बल्कि सम्पूर्ण घड़ी को सांस्कृतिक तत्व कहेंगे।
2. संस्कृति संकुल (culture complex)
जब कुछ सांस्कृतिक तत्व आपस में घुल मिलकर किसी मानवीय आवश्यकता की पूर्ति करते हैं तो उसे हम संस्कृति संकुल कहते हैं।उदाहरण के लिए स्त्रियों के सौंदर्य संकुल को लिया जा सकता है इस संकुल के अन्तर्गत चूड़ी, कंगन, आभूषण, सिन्दूर, लिपिस्टिक, नाखूनों की लाली, बिन्दी आदि अनेक वस्तुएं आती हैं।
3. संस्कृति प्रतिमान (culture pattern)
अनेक सांस्कृतिक तत्वों के सम्मिलन से एक संस्कृति संकुल बनता है परन्तु संस्कृति के ये संकुल शून्य में रहकर कार्य नहीं करते बल्कि सम्पूर्ण सांस्कृतिक ढांचे के अन्तर्गत ही कार्य करते हैं।ये सभी संकुल मिलकर एक संस्कृति की प्रमुख विशेषताओं को भी बतलाते हैं।
सांस्कृतिक ढाॅंचे के अन्तर्गत संस्कृति संकुलों की उस व्यवस्था को जिससे की सम्पूर्ण संस्कृति की विशेषताएं व्यक्त हों संस्कृति प्रतिमान कहते हैं।
उदाहरण के लिए भारतीय संस्कृति को लिया जा सकता है इसके अन्तर्गत जातिप्रथा, संयुक्त परिवार, पंचायत, अध्यात्मवाद, गांधीवाद, धर्म का महत्व आदि सभी एक एक संस्कृति संकुल हैं। ये सभी मिलकर भारतीय संस्कृति प्रतिमान का निर्माण करते हैं।
4. सांस्कृतिक क्षेत्र (cultural area)
ऊपर के तीनों पक्षों के अलावा संस्कृति का एक भौगोलिक पक्ष भी होता है। अगर हम किसी महाद्वीप के एक किनारे से दूसरे किनारे तक यात्रा करें तो इस पायेंगे की दो अलग-अलग भौगोलिक क्षेत्रों के सांस्कृतिक तत्वों और संस्कृति संकुलों में पर्याप्त अंतर है इसका कारण यह है कि सांस्कृतिक तत्व या संस्कृति संकुल का फैलाव एक निश्चित भौगोलिक क्षेत्र में ही विशेष रूप से होता है।
यही भौगोलिक क्षेत्र जिसमें कि संस्कृति के एक से तत्व या संकुल विशेष रूप से पाये जाते हैं, सांस्कृतिक क्षेत्र कहलाता है।
उदाहरण के लिए जातिप्रथा भारत में ही विशेष रूप से पायी जाती है भारत के बाहर के भौगोलिक क्षेत्रों में नहीं पाई जाती। अतः भारत एक सांस्कृतिक क्षेत्र हुआ।
सभ्यता (Civilization)
Ogburn ने सम्पूर्ण संस्कृति को दो भागों में विभाजित किया है - भौतिक संस्कृति और अभौतिक संस्कृति।
MacIver and Page ने संस्कृति के इन दोनों भागों को और अधिक स्पष्ट किया है। इनके अनुसार भौतिक संस्कृति हमारी सभ्यता है जबकि अभौतिक संस्कृति हमारी संस्कृति है।
सामान्यतः सभ्यता के अन्तर्गत वे सभी वस्तुएं आ जाती हैं जिनका उपयोग करके अर्थात साधन के रूप में हम अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं।
MacIver and Page के अनुसार " सभ्यता से हमारा तात्पर्य उस सम्पूर्ण प्रविधि संगठन से है जिसे कि मनुष्य ने अपने जीवन की दशाओं को नियंत्रित करने के प्रयत्न में बनाया है।"
सभ्यता की विशेषताएं (characteristics of civilization)
- सभ्यता में उपयोगिता का तत्व निहित है। अर्थात कोई वस्तु तब सभ्यता के अन्तर्गत आती है जब उसके द्वारा समाज के सदस्यों को कुछ न कुछ लाभ हो।
- सभ्यता साधन है। अर्थात हम सभ्यता के विभिन्न वस्तुओं को अपनी आवश्यकताओं के पूर्ति के लिए प्रयोग में लाते हैं।
- सभ्यता में शीघ्रता से परिवर्तन होता है। अर्थात आवश्यकताओं के पूर्ति के लिए साधनों की खोज में हर रोज सभ्यता के नये तत्वों का अविष्कार होता है।
- सभ्यता प्रगतिशील है। अर्थात सभ्यता एक स्थान से दूसरे स्थान पर सरलता से फैलती है।
संस्कृति तथा सभ्यता में पारस्परिक संबंध (relation between Culture & civilization)
वास्तव में यह कथन उचित ही है कि जो कुछ हम हैं वह हमारी संस्कृति है और जो कुछ हमारे पास है वही हमारी सभ्यता है। ऊपरी तौर पर यह कहा जा सकता है कि संस्कृति और सभ्यता में अनेक अन्तर हैं परन्तु वास्तव में अन्तर से कहीं अधिक इन दोनों में पारस्परिक संबंध है।
उदाहरण- एक किसान नया हल जोतने से पहले उसकी पूजा करता है उसी प्रकार मल्लाह नाव को नदी में तैराने से पहले नदी और नाव दोनों की पूजा करता है नाव या हल सभ्यता है जबकि पूजा संस्कृति है। परन्तु किसान या मल्लाह के इस सम्पूर्ण कार्य में संस्कृति और सभ्यता के इन तथ्यों को हम अलग-अलग नहीं कर सकते।
संस्कृति और सभ्यता का पारस्परिक संबंध निम्नलिखित विवेचना से और भी स्पष्ट हो जायेगा -
- सभ्यता संस्कृति का वाहक है और वह इस अर्थ में कि सभ्यता के तत्व संस्कृति को पीढ़ी-दर-पीढ़ी हस्तानांतरित करने में सहायक होते हैं। उदाहरण के लिए गांधी जी के विचारों को पुस्तक में छापकर रख दिया गया है और पुस्तक के रूप में (जो कि सभ्यता का एक तत्व है) गांधी जी के विचार (जो संस्कृति का तत्व है) अनेक पीढ़ियों तक बने रहेंगे।
- सभ्यता संस्कृति के प्रचार में मदद करती है उदाहरण के लिए यदि हम गांधी जी के अहिंसा की वाणी (संस्कृति) को दुनिया के कोने कोने में पहुंचाना चाहते हैं तो यह काम सभ्यता के विभिन्न तत्वों जैसे - यातायात के साधन, रेडियो, सिनेमा आदि द्वारा किया जा सकता है।
- सभ्यता संस्कृति का पर्यावरण है सभ्यता में परिवर्तन होने से उसका कुछ न कुछ प्रभाव संस्कृति पर अवश्य ही पड़ता है। उदाहरण - आज मशीनों के अविष्कारों के फलस्वरूप उद्योग, धन्धे, व्यापार और सामाजिक जीवन के अन्य पक्षों में अत्यधिक गति देखने को मिलती है इसके फलस्वरूप हमारा जीवन बहुत ही व्यस्त हो गया है अतः इसी के अनुसार सांस्कृतिक तत्वों को भी अनुकूलन करना पड़ा है। जिन विवाह संस्कारों में पहले 7-8 घण्टे लगते थे अब उनका समय काफी कम हो गया है।
- संस्कृति सभ्यता की दिशा निर्धारित करती है। हमारा जीवन तथा व्यवहार, हमारे आदर्श, मूल्यों, प्रथाओं, धर्म आदि द्वारा काफी प्रभावित होता है इसलिए इनका प्रभाव सभ्यता की दिशा निर्धारण करने में भी महत्वपूर्ण होता है। उदाहरण के लिए कारखाने में हम जीवित रहने की आवश्यक चीजें तैयार कर सकते हैं, युद्ध सामग्री तैयार कर सकते हैं, खाने पीने की चीजों का निर्माण कर सकते हैं। परन्तु हमारे कारखाने में वास्तव में क्या बनेगा या तैयार होगा। इसका निर्णय हमारी संस्कृति ही करती है।
सभ्यता तथा संस्कृति में अन्तर (difference between civilization & Culture)
- सभ्यता को मापा जा सकता है लेकिन संस्कृति को नहीं।
- सभ्यता साधन है और संस्कृति साध्य है ।
- सभ्यता निरन्तर आगे बढ़ती रहती है लेकिन संस्कृति नहीं।
- सभ्यता को अपरिवर्तित रूप में ग्रहण करना होता है परन्तु संस्कृति में परिवर्तन किया जाता है।
- सभ्यता एक स्थान से दूसरे स्थान पर बिना प्रयत्न के फैलती है परन्तु संस्कृति नहीं ।
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